रविवार, 14 अगस्त 2016

बेटी

बेटी है मीठी मुस्कान
बेटी कोमल भावना,
बेटी है घर की शान,
इससे ही टीका है,
दुनिया की आन,
इससे ही जुड़ा है,
माँ बाप का सम्मान,
बेटी है निर्झर की निर्मल धारा,
इनसे ही टीकी है सृष्टि सारा,
लक्ष्मी की वास हो,
बहे खुशियों की बयार,
जन्म ले बेटी जिस घर में,
पलती है वहाँ संस्कार,
बेटी है पुनम की चांदनी,
साक्षात दुर्गा रूप,
बेटी है सपनो का आधार,
सुबह की मिठी धुप,

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