मंगलवार, 20 दिसंबर 2016

हाँ ऐसा पहली बार हुआ है!!!!!

हर रोज सपने में कोई,
मुस्कुराते हुए आने लगी है,
हर पल उसकी प्यारी तस्वीर,
आँखों के सामने छाने लगी है,
हाँ ऐसा पहली बार हुआ है,
जब भी उठाता हूँ कलम,
बस उसको ही लिखने लगी है,
रात की खामोशी में अकसर,
वो मुझसे बातें करने लगी है,
हाँ ऐसा पहली बार हुआ है,
छिन लिया उसने मेरा करार,
दिल में बैचेनी सी छाने लगी है,
एक उलझी हुई उसकी तस्वीर,
मुझे तंग करने लगी है,
हाँ ऐसा पहली बार हुआ है,
सो जाता हूँ जब गहरी नींद में,
उसकी प्यारी आवाज जगाने लगी है,
सोचता हूँ जब भी उसके बारे में,
होठों पे एक मीठी मुस्कान आने लगी है,
हाँ ऐसा पहली बार हुआ है,

मंगलवार, 13 दिसंबर 2016

माँ तेरी याद आती है

अभी रात के साढ़े आठ बजे हैं , और मैं ये कविता लिखने बैठा हूँ, वैसे तो माँ को याद करने के लिए कोई खास दिन की ज़रूरत नहीं होती है, माँ हर पल दिल में होती है । फिर भी आज जब घर से बहुत दूर हूँ, माँ को देखे बहुत दिन हो गया, तब, बहुत जी करता है की बस सब कुछ छोड़ कर माँ के पास जाऊं और उनके गोद में सर रखकर सो जाऊं,,, माँ के बारे में कुछ भी लिखो कम है ... फिर भी बस अपने दिल में कुछ बातें थी जो बाहर आ गयी,,,,,
मैं घर से दूर हूँ,
माँ तेरे दर से दूर हूँ,
तू मेरे पास नहीं,
मैं तेरे साथ नही हूँ,
तेरा अहसास मुझे,
बहुत रुलाती है माँ,
हर घड़ी हर पल,
तू याद आती है माँ,
सवेरा होते ही,
खनकती हैं चूड़ियाँ तेरी,
मेरे कानों में समाती है,
तेरी आवाज प्यारी ,
मुझे लगता है जैसे,
तू यहीं कहीं है,
पर कहाँ है?
नज़र नहीं आती है माँ,
सुबह देर होने पर,
तू मुझे जगाती है माँ,
हर घड़ी हर पल,
तू याद आती है माँ,
आ गया हूँ तेरी आंचल छोड़,
एक अंजान शहर में,
खुशियों की बहार छोड़,
गम के समंदर में,
तेरी वो प्यारी सुरत,
बहुत याद आती है माँ,
हर घड़ी हर पल,
तु बहुत याद आती है माँ,
खो गया हूँ जीवन की मृगतृष्णा में,
ढुंडता फिरता हूँ खुद को,
अजनबीयों की भीड़ में,
नहीं है कोई गलती बताने वाला,
तेरा वो मार्गदर्शन बहुत आता है माँ,
हर घड़ी हर पल,
तु बहुत याद आती है माँ,
तेरी आहट हमेशा महसूस करता हूँ, तेरी चाहत मुझे हरदम सुहाती है,
तेरी डांट कानों को गुदगुदाती है,
तेरी हर बात मुझे जीना सिखाती है,
तेरी कमी मुझे तन्हां कर जाती है,
माँ हर घड़ी हर पल तू याद आती है