बुधवार, 23 नवंबर 2016

मेरी कलम


मेरी कलम चलती हरदम,
न कभी बेवफाई करती,
हर पल मेरा साथ निभाती,
तन्हाई में अकसर,
मुझसे बातें करती,
खो जाता हूँ जब,
शब्दों के अथक गहराई में,
मेरे बिखरे शब्दों को जोड़ती,
होता हूँ उलझन में जब,
आकर मेरे उलझन सुलझाती,
आकर कभी चुपके से,
 मेरे कान में कहती,
मैं ही तो हूँ तेरे जीवन की साथी,
न कभी कहती अपनी गम,
चलती रहती हरदम,
ऐसी ही है मेरी कलम,,,,,

रविवार, 6 नवंबर 2016

कैसे कहूं मेरा भारत महान!


मार दी जाती गर्भ में,
दुनिया देखने से पहले,
एक नन्ही सी जान,
कैसे कहूं तुम ही बताओ,
मेरा भारत है महान,
आज भी बेटों की चाह में,
बली दी जाती मासूम परी,
जैसे कोई जानवर बेजुबान,
कैसे कहूं तुम ही बताओ,
मेरा भारत है महान,
चंद पैसों की लालच में,
ले लेती एक बहु की जान,
दहेज रूपी दानव ने,
इंसान को बना दिया हैवान,
कैसे कहूं तुम ही बताओ,
मेरा भारत है महान,
आज भी नारी करती संघर्ष,
पाने अपना हक और सम्मान,
होती जहां पर निर्भया जैसी,
हर रोज कोई नई कांड,
कैसे कहूं तुम ही बताओ,
मेरा भारत है महान,
आज भी जिस देश में ,
नारी पर अत्याचार को,
पुरुष मानते अपनी शान,
कैसे कहूं तुम ही बताओ,
मेरा भारत है महान,
आओ मिलकर उठाएँ प्रण,
न करेंगे न करने देंगे,
किसी नारी का दमन,
तभी गर्व से कहेंगे,
हाँ मेरा भारत है महान,