मंगलवार, 25 अक्तूबर 2016

सभ्य समाज!!!???????


मार दी जाती गर्भ में,
एक फूल सी कोमल परी को,
बेटे की अभिलाषा में,
निर्दयी बाप की क्रूरता देखो,
बना दिया है व्यापार,
शादी के रस्म रिवाजों को ,
खून चुस लेती है दहेज ,
इंसान की इंसानियत देखो,
पैसों की लाचारी में
बांधी जाती एक बेटी,
अमेल विवाह के बंधन में,
एक गरीब बाप की बेबसी देखो,
दहेज की धधकती ज्वाला में,
जला दी जाती एक अबला नारी,
धन-दौलत की चाहत में,
इंसान की हैवानियत देखो,
छेड़ी जाती सारेआम बजार में,
किसी की बहन-बेटी को,
झुक जाती है शर्म से आँखें,
हैवानों की मानसिकता देखो,
बांध देती पैरों में बेड़ियां,
लग जाती है बंदिशें हजार,
समाज के इन मठाधीशों का,
दोहरा चरित्र देखो,,,,
घर पर करते अपनों पर अत्याचार,
बाहर दूसरों की बहन बेटी पर बलात्कार,
कैसे कहें हम इन्हें सभ्य,
इन असुरों की असुरता देखो,,,,,

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