शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2016

सफलता अब अपनी मुट्ठी में!!!!


जीवन में आगे बढ़ने हेतु व्यक्ति निरंतर प्रयासरत रहता है, सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता,,,,,, इसे प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को निरंतर मेहनत करनी ही होती है, किसी मुकाम पर पहुंचने के लिए व्यक्ति को अपनी मंजिल का भी पता होना चाहिए, इसके बगैर किया गया प्रयास व्यक्ति को असफलता की ओर ही ले जाता है,,,,,,
जीवन में सफल होने के कुछ टिप्स:-
1)एकाग्रता बढ़ाएं - सफल होने के लिए एकाग्रता का होना जरूरी है, एकाग्रता यानी किसी भी एक ही विषय-विशेष पर पूर्ण ध्यान दिया जाना किसी व्यक्ति को तब तक सफलता नहीं मिल सकती, जब तक कि वह एकाग्र न हो बिना रुचि के एकाग्र होना काफी मुश्किल है,,,प्रचीन काल में ॠषी मुनी अपने एकाग्रचित्त के कारण ही अपने ईश को प्राप्त करते थे,,,,यदि आपको सफल होना है तो आपको बगुला बनना पड़ेगा,,,याद रहे अवसर मछली की तरह होता है आपके पास एक बार ही आती है,,,,,,बस आपको बगुला की तरह एकाग्र रहकर उसे पकड़ना है,,,,डां• ऐ•पी•जे• अब्दुल कलाम ने एक बहुत बड़ी बात कही"आप का दिमाग एक समय में एक ही चीज़ के बारे में सोचता है" अगर आप एक समय में एक से अधिक चीजों के बारे में सोचते है तो आप अपनी एकाग्रता खो देते है,,,,और परिणाम असफलता,,,,,,,
 2)समय का महत्व समझें -
"समय"  ये एक शब्द नहीं बल्कि पुरा का पुरा एक सफलता निर्धारक सुचक है,,, सफलता प्राप्ति में समय का काफी महत्व है जिसने समय के महत्व को जान लिया उसने सब कुछ पा लिया,,,, अत: किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु समय-प्रबंधन  जरूर करें,,,, किसी विद्वान ने ठीक ही कहा है कि 'मैंने समय को खोया, समय ने मुझे',,,,, इसी से पता चलता है कि समय कितना कीमती है, यह भी कहा गया है कि समय ही सोना है अत: समय को बरबाद न करें,,,,आप यदि समय को बरबाद करोगे तो एक दिन समय आपको बरबाद कर देगा,,,
समय अमूल्य धन है ये अनमोल है,,,,यह आप पर निर्भर करता है कि आप समय का उपयोग किस तरह करते है यदि आपने समय का सही उपयोग करना सीख लिया तो समझो आपने ये दुनिया अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया,,,,,,समय आपके अनुकूल परिस्थितियों
का इंतजार नहीं करती ये निरंतर चलती रहती है,,,इसलिए विपरीत परिस्थितियों में भी समय के साथ सामंजस्य बनाने की कोशिश करें,,,,वरना समय आपका इंतजार नहीं करेगा वो निकल जायेगा,,,,,
3)अपनी शक्ति-सामर्थ्य का पता करें - अपनी शक्ति-सामर्थ्य का हमें पता होना चाहिए, हमेशा लक्ष्य ऐसा चुनें, जो अपनी शक्ति- सामर्थ्य में हो, कभी भी ऐसा लक्ष्य चुनने की गलती नहीं करें, जो स्वयं की शक्ति-सामर्थ्य से बाहर हो,,,,, उदाहरण के लिए किसी की रुचि कला विषय लेकर दर्शन शास्त्र में सफलता प्राप्त करने की हो तो उसे जबरदस्ती इंजीनियरिंग या डॉक्टरी के लिए प्रयास नहीं करना चाहिए नहीं तो असफलता ही हाथ लगेगी,,,,,हमें किसी के दबाव या प्रभाव से कोई भी काम नहीं करना चाहिए इसमें असफल होने की संभावना अधिक रहती है,,,अगर आप सफल हो भी गए,,तो भी आप कभी खुश नहीं रह पायेगे,,,,,
4)कार्य करते रहें- व्यक्ति को सफलता प्राप्ति हेतु कर्म करते रहना चाहिए, क्योंकि इसी में क्रिया और उसका परिणाम दोनों शामिल हैं,,, स्वामी विवेकानंद ने भी कहा है कि 'कर्म मानव स्वतंत्रता की शाश्वत घोषणा है हमारे विचार, शब्द और कर्म वे धागे हैं जिनसे हम अपने चारों ओर एक जाल बुन लेते हैं। हमें अपना कार्य सही व श्रेष्ठ दिशा में ही करना चाहिए सही का सही और गलत दिशा का परिणाम भी गलत ही होता है,,,,
5)आशावादी बने रहें- व्यक्ति को हमेशा आशावादी ही बने रहना चाहिए, नकारात्मक विचार कभी भी मन में न लाएं,,, नकारात्मक विचारों से आत्मविश्वास कम होता है अत: हमेशा आशावादी दृष्टिकोण ही अपनाएं इस बारे में काफी पुरानी एक कहावत भी है कि 'मन जीते जीत है और मन के हारे हार' अत: सकारात्मक चिंतन श्रेष्ठ रहेगा,
स्वामी विवेकानन्द जी कहा करते थे"जैसा हम सोचते है हमारा मस्तिष्क भी हमें उसी दिशा में ले जाता है" अगर आप नकारात्मक सोचते है तो बहुत हद तक आप असफल हो सकते है,,,,इसलिए हमेशा सकारात्मक सोच रखें,,और आशावादी बने रहे,,, थामस एडिसन ने बिजली  बल्ब बनाते बनाते बहुत बार असफलता साथ लगी लेकिन उन्होंने आशा नहीं छोड़ी,,,और परिणाम आज हम सबके सामने है,,,,दरसल हममें से बहुत कोई बार बार असफल होने पर आशा विहीन हो जाते है लेकिन हम सब को ये नहीं पता होता की हम अपने मंजिल के बहुत करीब होते है
,,,,और वो काम हम छोड़ देते है परिणाम असफलता,,,, 
6)जी-जान से भिड़ जाएं - एक बार मंजिल तय हो जाने के बाद आप जी-जान से सफलता प्राप्ति हेतु भिड़ जाएं, इसमें कोताही बरतना आपके लिए उचित नहीं कहा जाएगा,,, अपने इरादों पर दृढ़ रहें व डिगें नहीं,,, कई बार इसमें असफलता के अवसर भी आ सकते हैं किंतु आप अपने दृढ़ संकल्प से उस पर पार पा लेंगे, आप ऐसा ही विश्वास बनाए रखें,,,,
7)ईश्वर से प्रार्थना भी करें- ईश्वर से प्रार्थना का भी अपना महत्व है ईश प्रार्थना से हृदय व मन-मस्तिष्क के तार भी झंकृत होते हैं। अनुसंधानों में भी पाया गया है कि नियमित मंदिर जाने तथा भगवान की प्रार्थना करने वाले हमेशा आशावादी बने रहते हैं, क्योंकि उनके मन में यह भाव रहता है कि 'ईश्वर मेरे साथ है' यह भाव सकारात्मकता की ओर ले जाता है,,,,,,,

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