सर्वप्रथम आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ,,,
आज मैं क्या हर हिन्दुस्तानी स्वंत्रता दिवस कि सालगिरह मना रहा है. इसमें मैं भी शामिल हूँ. लेकिन क्या हम सही मायने में आजाद या स्वंत्र है,, क्या हमें बात रखने या बोलने का हक है? हमें भी अपने देश में ,समाज में कुछ करने या कुछ बोलने का हक है,,,आज मैं इतिहास को नहीं दोहराना चाहता हूँ,क्योकि जो बित गया,,बित गया,,आज हम वर्तमान परिपेक्ष्य में महिलाओ की वास्तविक स्वतंत्रता के बारे में अपना विचार रखना चाहूँगा,,
संविधान में जो भी कुछ लिखा है हर कोई जानता है ये कौन बता सकता है? क्या हम सबको अपने मूलभूत अधिकार या कर्तव्य का ज्ञान है ? हमें कौन से अधिकार मिले हैं? हम में से कितने लोग है जिनको पता है?? बहुत ही कम लोग है जिनको पता है,,,क्या कभी हमें इसका ज्ञान होगा ? या हमें कौन जानकारी देगा.?
कोई नहीं है, न तो इसको सरकार बता सकता है , न सरकार का कोई नुमाइंदा . न ही कोई नेता जिसे हमें चुन कर अपने देश और समाज के विकास के विधान सभा और संसद भेजते हैं.
हमारे देश को आजादी मिले कितने साल हो गए??? 69 साल,,,, लेकिन हम उस समय से भी बहुत जयादा पिछड़ गए है. जिस तेजी से और सभी चीजों का विकास हुआ उतना हमारे देश के नागरिको स्पेशली महिलाओं का विकास नहीं हुआ,,,,
आज आधी आबादी ऐसे जीती है कि पता नहीं कल दिन कैसा होगा ? क्या होगा ? कोई ऐसा है जो यह नहीं सोचता है?? . शायद नहीं,,,,आज हमारे देश में इतना भय का माहोल है. जितना कि कभी सोचा भी नहीं होगा,,
आज विज्ञापनों के माध्यम से नारी देह का अश्लील प्रदर्शन हो रहा हैं। यही कारण है कि महिलाओं के साथ दुष्कर्म की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही हैं। आये दिन दुराचार, व्याभिचार और छेड़छाड़ की घटनाएं होती रहती हैं हाल फिलहाल बुलंदशहर की घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया,,महिलाएं असुरक्षित हो रही हैं इसके लिए महिला जागरूकता के साथ ही समाज और सरकार के द्वारा प्रभावी प्रयास करना आवश्यक हैं,,,,,,
परिदृश्य बदल रहा है, महिलाओं की भागीदारी सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ रही है Women Empowerment हो रहा है,
ये कुछ चुनिन्दा पंक्तियां हैं जो यदा कदा अखबारों में, टीवी न्यूज़ चेनल में, और नेताओं के मुँह से सुनी जाती रही है,, अपने क्षेत्र में खास उपलब्धियां हासिल करने वाली कुछ महिलाओं का उदाहरण देकर हम महिलाओं की उन्नती को दर्शाते है,, पर अगर आप ध्यान दे तो कुछ अदभुत करने वाली महिलाएं तो हर काल में रही है सीता से लेकर द्रौपदी, रज़िया सुल्तान से लेकर रानी दुर्गावति, रानी लक्ष्मीबाई से लेकर इंदिरा गांधी एवं किरण बेदी एवं सानिया मिर्जा,,,,परन्तु महिलाओं की स्थिति में कितना परिवर्तन आया? और आम महिलाओं ने परिवर्तन को किस तरह से देखा?
दरअसल असल परिवर्तन तो आना चाहिए आम महिलाओं के जीवन में,,,न कि किसी खास में,,,,जरुरत है महिलाओं की सोच में परिवर्तन लाने की,,, उन्हें बदलने की,,,आम महिलाओ के जीवन में परिवर्तन, उनकी स्थिति में, उनकी सोच में परिवर्तन,,,यही तो है असली empowerment,,,,
महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे है,शहर असुरक्षित होते जा रहे है,कुछ चुनिंदा घटनाओ एवं कुछ चुनिंदा लोगों की वजह से कई सारी अन्य महिलाओं एवं लड़कियों के बाहर निकलने के दरवाजे बंद हो जाते है, जरुरत है बंद दरवाज़ों को खोलने की, रौशनी को अंदर आने देने की,, प्रकाश में अपना प्रतिबिम्ब देखने की,,, उसे सुधारने की,, निहारने की,,,निखारने की,,,,अपनी अधिकार को पहचानने की,,,
इसी कड़ी में एक और दरवाज़ा है आत्म निर्भरता,,,या कहें आर्थिक आत्म निर्भरता,,,
महिलाओं को बचपन से सिखाया जाता है की खाना बनाना जरुरी है,,जरुरत है की सिखाया जाये की कमाना भी जरुरी है,, आर्थिक रूप से सक्षम होना भी जरुरी है,,,परिवार के लिये नहीं वरन अपने लिए,, पैसे से खुशियाँ नहीं आती, पर बहुत कुछ आता है जो साथ खुशियाँ लाता है,,,
अगर शिक्षा में कुछ अंश जोड़ें जाये जो आपको किताबी ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान भी दे,,, आपके कौशल को उपयुक्त बनाये,, आपको इस लायक बनाये की आप अपना खर्च तो वहन कर ही सके,,, तभी शिक्षा के मायने सार्थक होंगे,,,
जरुरी नहीं कि हर कमाने वाली लड़की डाक्टर या शिक्षिका हो,,, वे खाना बना सकती है,,, पार्लर चला सकती है,,, कपड़े सी सकती है,,, उन्हें ये सब आता है,,, वे ये सब करती है,, पर सिर्फ घर में,,,,उनके इसी हुनर को घर के बाहर लाना है,,,आगे बढ़ाना है,,,,,
ये एक सोच है,,,ज़रुरत है इस सोच को आगे बढ़ाने की,,,उनके कोशल को उनकी जीवन रेखा बनाने की,,ताकि समय आने पर वे व्यवसाय कर सके,, अपना परिवार चला सके,,, ये उन्हें गति देगा,, दिशा देगा,,, आत्माभिमान देगा,, आत्मविश्वाश देगा,,,वे दबेगी नहीं,, डरेगी नहीं,, ये एक खुशहाल भविष्य की कामना है,,,, अमल करे,,,, अभी करे,,,
जय हिंद,,,,
आज मैं क्या हर हिन्दुस्तानी स्वंत्रता दिवस कि सालगिरह मना रहा है. इसमें मैं भी शामिल हूँ. लेकिन क्या हम सही मायने में आजाद या स्वंत्र है,, क्या हमें बात रखने या बोलने का हक है? हमें भी अपने देश में ,समाज में कुछ करने या कुछ बोलने का हक है,,,आज मैं इतिहास को नहीं दोहराना चाहता हूँ,क्योकि जो बित गया,,बित गया,,आज हम वर्तमान परिपेक्ष्य में महिलाओ की वास्तविक स्वतंत्रता के बारे में अपना विचार रखना चाहूँगा,,
संविधान में जो भी कुछ लिखा है हर कोई जानता है ये कौन बता सकता है? क्या हम सबको अपने मूलभूत अधिकार या कर्तव्य का ज्ञान है ? हमें कौन से अधिकार मिले हैं? हम में से कितने लोग है जिनको पता है?? बहुत ही कम लोग है जिनको पता है,,,क्या कभी हमें इसका ज्ञान होगा ? या हमें कौन जानकारी देगा.?
कोई नहीं है, न तो इसको सरकार बता सकता है , न सरकार का कोई नुमाइंदा . न ही कोई नेता जिसे हमें चुन कर अपने देश और समाज के विकास के विधान सभा और संसद भेजते हैं.
हमारे देश को आजादी मिले कितने साल हो गए??? 69 साल,,,, लेकिन हम उस समय से भी बहुत जयादा पिछड़ गए है. जिस तेजी से और सभी चीजों का विकास हुआ उतना हमारे देश के नागरिको स्पेशली महिलाओं का विकास नहीं हुआ,,,,
आज आधी आबादी ऐसे जीती है कि पता नहीं कल दिन कैसा होगा ? क्या होगा ? कोई ऐसा है जो यह नहीं सोचता है?? . शायद नहीं,,,,आज हमारे देश में इतना भय का माहोल है. जितना कि कभी सोचा भी नहीं होगा,,
आज विज्ञापनों के माध्यम से नारी देह का अश्लील प्रदर्शन हो रहा हैं। यही कारण है कि महिलाओं के साथ दुष्कर्म की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही हैं। आये दिन दुराचार, व्याभिचार और छेड़छाड़ की घटनाएं होती रहती हैं हाल फिलहाल बुलंदशहर की घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया,,महिलाएं असुरक्षित हो रही हैं इसके लिए महिला जागरूकता के साथ ही समाज और सरकार के द्वारा प्रभावी प्रयास करना आवश्यक हैं,,,,,,
परिदृश्य बदल रहा है, महिलाओं की भागीदारी सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ रही है Women Empowerment हो रहा है,
ये कुछ चुनिन्दा पंक्तियां हैं जो यदा कदा अखबारों में, टीवी न्यूज़ चेनल में, और नेताओं के मुँह से सुनी जाती रही है,, अपने क्षेत्र में खास उपलब्धियां हासिल करने वाली कुछ महिलाओं का उदाहरण देकर हम महिलाओं की उन्नती को दर्शाते है,, पर अगर आप ध्यान दे तो कुछ अदभुत करने वाली महिलाएं तो हर काल में रही है सीता से लेकर द्रौपदी, रज़िया सुल्तान से लेकर रानी दुर्गावति, रानी लक्ष्मीबाई से लेकर इंदिरा गांधी एवं किरण बेदी एवं सानिया मिर्जा,,,,परन्तु महिलाओं की स्थिति में कितना परिवर्तन आया? और आम महिलाओं ने परिवर्तन को किस तरह से देखा?
दरअसल असल परिवर्तन तो आना चाहिए आम महिलाओं के जीवन में,,,न कि किसी खास में,,,,जरुरत है महिलाओं की सोच में परिवर्तन लाने की,,, उन्हें बदलने की,,,आम महिलाओ के जीवन में परिवर्तन, उनकी स्थिति में, उनकी सोच में परिवर्तन,,,यही तो है असली empowerment,,,,
महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे है,शहर असुरक्षित होते जा रहे है,कुछ चुनिंदा घटनाओ एवं कुछ चुनिंदा लोगों की वजह से कई सारी अन्य महिलाओं एवं लड़कियों के बाहर निकलने के दरवाजे बंद हो जाते है, जरुरत है बंद दरवाज़ों को खोलने की, रौशनी को अंदर आने देने की,, प्रकाश में अपना प्रतिबिम्ब देखने की,,, उसे सुधारने की,, निहारने की,,,निखारने की,,,,अपनी अधिकार को पहचानने की,,,
इसी कड़ी में एक और दरवाज़ा है आत्म निर्भरता,,,या कहें आर्थिक आत्म निर्भरता,,,
महिलाओं को बचपन से सिखाया जाता है की खाना बनाना जरुरी है,,जरुरत है की सिखाया जाये की कमाना भी जरुरी है,, आर्थिक रूप से सक्षम होना भी जरुरी है,,,परिवार के लिये नहीं वरन अपने लिए,, पैसे से खुशियाँ नहीं आती, पर बहुत कुछ आता है जो साथ खुशियाँ लाता है,,,
अगर शिक्षा में कुछ अंश जोड़ें जाये जो आपको किताबी ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान भी दे,,, आपके कौशल को उपयुक्त बनाये,, आपको इस लायक बनाये की आप अपना खर्च तो वहन कर ही सके,,, तभी शिक्षा के मायने सार्थक होंगे,,,
जरुरी नहीं कि हर कमाने वाली लड़की डाक्टर या शिक्षिका हो,,, वे खाना बना सकती है,,, पार्लर चला सकती है,,, कपड़े सी सकती है,,, उन्हें ये सब आता है,,, वे ये सब करती है,, पर सिर्फ घर में,,,,उनके इसी हुनर को घर के बाहर लाना है,,,आगे बढ़ाना है,,,,,
ये एक सोच है,,,ज़रुरत है इस सोच को आगे बढ़ाने की,,,उनके कोशल को उनकी जीवन रेखा बनाने की,,ताकि समय आने पर वे व्यवसाय कर सके,, अपना परिवार चला सके,,, ये उन्हें गति देगा,, दिशा देगा,,, आत्माभिमान देगा,, आत्मविश्वाश देगा,,,वे दबेगी नहीं,, डरेगी नहीं,, ये एक खुशहाल भविष्य की कामना है,,,, अमल करे,,,, अभी करे,,,
जय हिंद,,,,
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