बुधवार, 23 नवंबर 2016

मेरी कलम


मेरी कलम चलती हरदम,
न कभी बेवफाई करती,
हर पल मेरा साथ निभाती,
तन्हाई में अकसर,
मुझसे बातें करती,
खो जाता हूँ जब,
शब्दों के अथक गहराई में,
मेरे बिखरे शब्दों को जोड़ती,
होता हूँ उलझन में जब,
आकर मेरे उलझन सुलझाती,
आकर कभी चुपके से,
 मेरे कान में कहती,
मैं ही तो हूँ तेरे जीवन की साथी,
न कभी कहती अपनी गम,
चलती रहती हरदम,
ऐसी ही है मेरी कलम,,,,,

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